Tuesday, October 19, 2010

Jyotish Yog

ज्योतिष में योग (Yoga) दो प्रकार से बनते हैं, एक तो सूर्य एंव चन्द्रमा के अंशो में दूरी होने पर, दूसरे ग्रहो के आपस में सम्बन्ध बनाने पर. द्वितीय प्रकार के योग महत्वपूर्ण एंव अधिक फलदायी होते हैं. ग्रहो से बनने वाले योग भी दो प्रकार के होते हैं.
1) महापुरुष योग (पंच) Mahpurush Yoga


इस प्रकार के योग ग्रहो का केन्द्र से सम्बन्ध स्थापित करने पर बनते हैं. इन्हें पंच-महापुरुष योग (Pancha Mahapurush Yoga) भी कहा जाता है. ये योग इस प्रकार से है:-
A) रुचक योग (Rechak Yoga)जब मंगल केन्द्र स्थान में (1,4,7,10) स्वराशी या उच्च राशी (Exalted Sign) का होकर स्थित हो तो 'रुचक' नामक महापुरुष योग का निर्माण होता है.
B) भद्र योग (Bhadra Yoga)जब बुध केन्द्र स्थान (1,4,7,10) में मिथुन या कन्या राशी का होकर स्थित हो तो 'भद्र' नामक महापुरुष योग बनता है.
C) हंस योग (Hans Yoga) जब बृहस्पति केन्द्र स्थान (1,4,7,10) में स्वराशी या उच्च राशी (Exalted Sign) का होकर स्थित हो तो 'हंस' नामक महापुरुष योग का निर्माण होता है.
D) मालव्य योग (Malabya Yoga)जब शुक्र केन्द्र स्थान (1,4,7,10) में स्वराशी या उच्च राशी का होकर स्थित हो तो 'मालव्य' नामक महापुरुष योग बनता है.
E) शश योग (Shash Yoga)जब शनि केन्द्र स्थान (1.4.7.10) में स्वराशी या उच्च राशी का होकर स्थित हो तो 'शश' नामक महापुरुष योग का निर्माण होता है.


इसके अतिरिक्त ग्रहो से बनने वाले उच्च कोटि के योग इस प्रकार से है:-
2) गजकेसरी योग (Gaja Keshari Yoga)जब चन्द्रमा से बृहस्पति केन्द्र स्थान (1,4,7,10) में हो तो 'गजकेसरी' नामक महापुरुष योग बनता है.
3) चन्द्र-मंगल योग (Moon & Mars Yoga)जन्मकुण्डली के किसी भी भाव में चन्द्र-मंगल की युति होने से चन्द्र-मंगल नामक शुभ धनदायक योग का निर्माण होता है.
4) सूर्य-बुधादित्य योग (Surya & Budhayadity Yoga)जन्मकुण्डली (Birth Chart) के किसी भी भाव में सूर्य-बुध की युति बनने से सूर्य-बुध आदित्य नामक शुभ योग का निर्माण होता है. आमतौर पर यह योग अधिकतर कुण्डलियो में पाया जाता है.
5) राशी परिवर्तन शुभ योग (Rashi Parivartan Shuv Yoga)इस प्रकार का योग दो ग्रहो का आपस में राशी परिवर्तन करने से बनता है. उदाहरण स्वरुप जब मंगल वृष या तुला राशी में हो तथा शुक्र मेष या वृ्श्चिक राशी में होने से राशी परिवर्तन नामक योग बनाते है क्योंकि दोनो ग्रह एक-दूसरे की राशी में विद्यमान है.


राशी परिवर्तन योग निम्नलिखित प्रकार से है:
A) यह राशी परिवर्तन नामक योग सूर्य के कर्क राशी में तथा चन्द्रमा के सिंह राशी में स्थित होने से बनता है.
B) यह राशी परिवर्तन नामक योग सूर्य के मेष या वृश्चिक राशी में तथा मंगल के सिंह राशी में स्थित होने से बनता है.
C) यह राशी परिवर्तन नामक योग सूर्य के कन्या राशी में तथा बुध के सिंह राशी में स्थित होने से बनता है.
D) यह राशी परिवर्तन नामक योग सूर्य के धनु या मीन राशी में तथा बृहस्पति के सिंह राशी में स्थित होने से बनता है.
E) यह राशी परिवर्तन नामक योग सूर्य के तुला राशी में तथा शुक्र के सिंह राशी में स्थित होने से बनता है.
F) यह राशी परिवर्तन नामक योग सूर्य के मकर या कुम्भ राशी में तथा शनि के सिंह राशी में स्थित होने से बनता है.
G) यह राशी परिवर्तन नामक योग चन्द्रमा के मेष या वृश्चिक राशी में तथा मंगल के कर्क राशी में स्थित होने से बनता है.
H) यह राशी परिवर्तन नामक योग चन्द्रमा के मिथुन या कन्या राशी में तथा बुध के कर्क राशी में स्थित होने से बनता है.
I) यह राशी परिवर्तन नामक योग चन्द्रमा के धनु या मीन राशी में तथा गुरु के कर्क राशी में स्थित होने से बनता है.
J) यह योग चन्द्रमा के वृष या तुला राशी में तथा शुक्र के कर्क राशी में स्थित होने से बनता है.
K) यह योग चन्द्रमा के मकर या कुम्भ राशी में तथा शनि के कर्क राशी में स्थित होने से बनता है.
L) यह योग मंगल के मिथुन या कन्या राशी में तथा बुध के मेष या वृश्चिक राशी में स्थित होने से बनता है.
M) यह योग मंगल के धनु या मीन राशी में तथा बृहस्पति के मेष या वृश्चिक राशी में स्थित होने से बनता है.
N) यह योग मंगल के वृष या तुला राशी में तथा शुक्र के मेष या वृश्चिक राशी में स्थित होने से बनता है.
O) यह योग मंगल के मकर या कुम्भ राशी में तथा शनि के मेष या वृश्चिक राशी में स्थित होने से बनता है.
P) यह योग बुध के धनु या मीन राशी में तथा बृहस्पति के मिथुन या कन्या राशी में स्थित होने से बनता है.
Q) यह योग बुध के वृ्ष या तुला राशी में स्थित होने से तथा शुक्र के मिथुन या कन्या राशी में होने से बनता है.
R) यह योग बुध के मकर या कुम्भ राशी में तथा शनि के मिथुन या कन्या राशी में स्थित होने से बनता है.
S) यह योग बृहस्पति के व.

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