Wednesday, June 26, 2013


हत्था जोड़ी (Hatha Jodi)

हत्था जोड़ी एक वनस्पति है. एक विशेष जाती का पौधे की जड़ खोदने पर उसमे मानव भुजा जैसी दो शाखाये दिख पड़ती है, इसके सिरे पर पंजा जैसा बना होता है. उंगलियों के रूप में उस पंजे की आकृति ठीक इस तरह की होती है जैसे कोई मुट्ठी बंधे हो. जड़ निकलकर उसकी दोनों शाखाओ को मोड़कर परस्पर मिला देने से कर बढ़ता की स्थिथि आती है, यही हत्था जोड़ी है. इसकी पौधे प्राय मध्य प्रदेश में होते है, जहा वनवासी जातियों की लोग इसे निकलकर बेच दिया करते है. 
हत्था जोड़ी यह बहुत ही शक्तिशाली व प्रभावकारी वस्तु है यह एक जंगली पौधे की जड़ होती है मुकदमा ,शत्रु संघर्ष ,दरिद्रता ,व दुर्लभ आदि के निवारण में इसके जैसी चमत्कारी वस्तु आज तक देखने में नही आई इसमें वशीकरण को भी अदुभूत टकक्ति है , भूत दृप्रेत आदि का भय नही रहता यदि इसे तांत्रिक विधि से सिध्द कर दिया जाए तो साधक निष्चित रूप से चामुण्डा देवी का कृपा पात्र हो जाता है यह जिसके पास होती है उसे हर कार्य में सफलता मिलती है धन संपत्ति देने वाली यह बहुत चमत्कारी साबित हुई है तांत्रिक वस्तुओं में यह महत्वपूर्ण है
हत्था जोड़ी में अद्भुत प्रभाव निहित रहता है, यह साक्षात चामुंडा देवी का प्रतिरूप है. यह जिसके पास भी होगा वह अद्भुत रुप से प्रभावशाली होगा. सम्मोहन, वशीकरण, अनुकूलन, सुरक्षा में अत्यंत गुणकारी होता है, हत्था जोड़ी.
हमारे तंत्र शास्त्र तथा तन्त्र का प्रयोग करने वालो के लिये एक महत्वपूर्ण वन की औषिधि के नाम से जाना जाता है। यह प्राय: पंसारियो के पास या राशि रत्न बेचने वालो के पास मिल जाती है इसे तांत्रिक सामान बेचने वाले भी अपने पास रखते है। हत्थाजोडी को कर जोडी हस्ताजूडी के नाम से भी जाना जाता है उर्दू मे इसे’बखूर इ मरियम’ कहा जाता है ईरान मे इसे चबुक उशनान के नाम से जाना जाता है लेटिन मे इसे सायक्लेमेन परसीकम कहा जाता है। यह वन की औषिधि है और यह ईरान मे अधिक पैदा होती है पिछले कुछ समय से भारत मे भी इसकी जैसी औषिधि मिलने लगीहै। इस औषिधि के पत्ते हरे रंग के होते है साथ ही यह भी देखा जाता है इन पत्तो के नीचे के हिस्से मे सफ़ेद रंग की परत होती इअ और इस सफ़ेद हिस्से पर बाल जैसे मुलायम रोंये होते है।इसके ऊपर गुलाब की तरह का फ़ूल आता है कही कही पर फ़ूल मे नीला रंग भी दिखाई देता है। इस वनोषधि की उपज किसी भी पेड की छाया मे तथा नम जमीन मे होती है इसकी जड गोल होती है और रंग काला होता है इसी जड मे हत्था जोडी बनती है।
यह निर्माण कार्य कुदरती होता है.चालाक लोग इसे पीस कर चूर्ण बना लेते है और अपनी दुकानदारी चलाने क एलिये किसी व्यक्ति विशेष को किसी भी भांति यह चूर्ण खिला देते है इस चूर्ण का प्रभाव यह होता है कि अधिक गर्म होने से व्यक्ति को चक्कर आने लगते है और प्यास भी लगने लगती है तथा जंभाइयां भी आने लगती है इस प्रकार से वे कहने लगते है कि भूत आ गया है या कोई छाया आ गयी है। लेकिन होता कुछ नही है केवल इसका नशा कुछ समय तक उसी प्रकार से रहता है जैसे कोई तम्बाकू नही खाता हो और उसे तम्बाकू भूल से खिला दी जाये तो कुछ समय तक माथा घूमता रहेगा और बाद मे अपने आप ठीक हो जा
होली की रात को कुंए के पास जाकर थोड़ी मिट्टी खोद कर उसकी एक गणेशजी की मूर्ति बनाएं। उसके ऊपर सिंदूर से लेपन कर रातभर उसका अभिषेक-पूजन करें। सुबह आरती के बाद विसर्जन कर दें। इससे प्रयोग से भी शीघ्र ही धन लाभ होने लगता है।
हत्था जोड़ी जो की एक महातंत्र में उपयोग में लायी जाती है और इसके प्रभाव से शत्रु दमन तथा मुकदमो में विजय हासिल होती है ! 
मेहनत और लगन से काम करके धनोपार्जन करते हैं फिर भी आपको आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो आपको अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए उपाय करना चाहिए। इसके लिए किसी भी शनिवार अथवा मंगलवार के दिन हत्था जोड़ी घर लाएं। इसे लाल रंग के कपड़े में बांधकर घर में किसी सुरक्षित स्थान में अथवा तिजोरी में रख दें। इससे आय में वृद्घि होगी एवं धन का व्यय कम होगा।
तिजोरी में सिन्दूर युक्त हत्था जोड़ी रखने से आर्थिक लाभ में वृद्धि होने लगती है.
हाथा जोड़ी एक जड़ है। होली के पूर्व इसको प्राप्त कर स्नान कराकर पूजा करें तत्पश्चात तिल्ली के तेल में डूबोकर रख दें। दो हफ्ते पश्चात निकालकर गायत्री मंत्र से पूजने के बाद इलायची तथा तुलसी के पत्तों के साथ एक चांदी की डिब्बी में रख दें। इससे धन लाभ होता है।हाथा जोड़ी को इस मंत्र से सिद्ध करें-
ऊँ किलि किलि स्वाहा।
प्रसव की सुगमता के लिये ग्रामीण इलाको मे इसे चन्दन के साथ घिस कर प्रसूता की नाभि पर चुपड देते है इससे बच्चा आराम से हो जाता है।
इसे गर्भपात करवाने के लिये भी प्रयोग मे लाया जाता है लेकिन इसके आगे के लक्षण बहुत खराब होते है जैसे हिस्टीरिया जैसा मरीज हो जाना आदि भी देखने को मिलता है.
जब कभी पेशाब रुक जाती है तो इसे पानी के साथ घिसकर पेडू पर लगाने से पेशाब खुल जाता है.
पेट मे कब्ज रहने पर इसको पानी के साथ घिस कर पेट पर चुपडने से कब्जी दूर होने लगती है.
मासिक धर्म के लिये इसके चूर्ण की पोटली बनाकर योनि मे रखने से शुद्ध और साफ़ मासिक धर्म होने लगता है लेकिन इस कार्य के लिये किसी योग्य डाक्टर या वैद्य की सहायता लेनी जरूरी होती है.
हत्थाजोडी का चूर्ण पीलिया के बहुत उपयोगी है पीलिया के मरीज को हत्थाजोडी के चूर्ण को शहद के साथ किसी वैद्य की सहायता लेकर चटाने से दूर हो जाता है.लेकिन इसका चूर्ण शहद के साथ खिलाने के बाद रोगी को कपडा औढा देना जरूरी होता है जिससे पीलिया का पानी पसीने से निकलने लगेगा,पसीना बहुत निकलता है और पीले रंग का होता है कुछ समय बाद पसीने को तौलिया से साफ़ कर लेना चाहिये,इससे यह समूल रोग नष्ट करने मे सहायक होती है.
जो लोग पारा जमाने वाले होते है वे हत्थाजोडी को प्रयोग मे लाते है वे हत्थाजोडी के चूर्ण को पारे के साथ खरल करते है धीरे धीरे पारा बंधने लगता है,मनचाही शक्ल मे पारे को बनाकर गलगल नीबू के रस मे रख दिया जाता है कुछ समय मे पारा कठोर हो जाता है लेकिन पारा और हत्था जोडी असली ही हो तभी सम्भव है.
हत्थाजोडी को सिन्दूर मे लगाकर दाहिनी भुजा मे बांधने से कहा जाता है कि वशीकरण भी होता है लेकिन अंजवाने पर यह नही दिखाई दिया.
हत्थाजोडी बहुत सस्ती होती है लेकिन ईरान से भारत मंगाने पर खर्चा होने और मंगाने पर प्रतिबन्ध होने पर लोग दाब घास की जड को कृत्रिम रूप से हत्थाजोडी का रूप देकर सिन्दूर मे लगाकर बेचते हुये देखे जा सकते है,कुछ चालाक लोग मरे हुये चूजों के पंजो को भी मोड कर सिन्दूर आदि मे लगाकर बेचते हुये देखे जा सकते है.
बिल्ली की आंवर हत्थाजोडी और सियारसिंगी (सियार के मरने के स्थान पर उगी एक गोल आकार की बालो वाली जडी) को सिन्दूर मे मिलाकर एक साथ रखने से कहा जाता है कि भाग्य मे उन्नति होती है लेकिन मैने कई लोगो को देखा है कि उन्हे कोई सफ़लता नही मिली है.

तंत्र विद्या में हत्थाजोडी अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती है। वास्तव में यह एक पौधे की जड है। परन्तु अपनी अदभुत रूपाकृति और विचित्र संरचना के कारण साधको के मन को मोह लेती है। इसके निर्माण में बारीकी के साथ सौंदर्य का पूर्ण समावेद्गा है। यह वस्तु वनस्पति श्रेणी में आती है। इसकी उत्पति भारत, ईरान, इराक, फ्रांस, ्जर्मनी, पाकिस्तान, एद्गिाया महाद्वीप में सभी जगह होती है। वनस्पति होने के कारण यह औषधीय गुणो मे प्रभावकारी मानी गई है। परन्तु तांत्रिको द्धारा बहुत मान्यता प्राप्त तंत्र है। तंत्र शास्त्र में इसके अनेक अद्भुत् प्रयोग वर्णित है
हत्थाजोडी तंत्र जगत की शीघ््रा प्रभावी चमत्कारी विचित्र वस्तु है। जिस व्यक्ति के पास असली सिद्ध हाथाजोडी होती है उसके भाग्य को चमका देती है। उसके खिलाफ कोई भी व्यक्ति कुछ नही कर पाता है। कोर्ट के मुकदमे में विजय प्राप्ति तथा शत्रु को वशीभूत करने में कमाल दिखाती है। इसे पास रखने से राजा व अधिकारी भी वंद्गाीभूत हो जाते हैं। हाथाजोडी को स्टील की डिब्बी में लौंग, इलायची व सिन्दूर के साथ ही रखना चाहिए। असली प्रमाणिक हाथाजोडी प्राप्त कर प्रयोग करके लाभ उठावें। यदि किसी का बच्चा रोता अधिक है एवं जल्दी-जल्दी बीमार हो जाता है तो शाम के समय, हत्थाजोडी के साथ रखे लौंग-इलायची को लेकर धूप देना चाहिए। यह शनिवार के दिन अधिक लाभ देता है।
हत्थाजोडी के तांत्रिक टोटका प्रयोग 1-क्क हत्थाजोडी मम् सर्व कार्य सिद्ध कुरू-कुरू स्वाहाः' मंत्र से पीपल के पते पर अपना नाम लिखकर हत्थाजोड़ी को पत्ते पर रखें। रुद्राक्ष - माला से रोजाना तीन माला पांच दिन तक जाप करें। इसे सिद्ध-अभिमंत्रित होने पर पूजा-स्थल पर रखें। साधक के सभी कार्य करने हेतु जागृत हो जाती है।
ॐ ऐं हीं क्ली चामुण्डायै विच्चे
इस मंत्र द्वारा सिद्ध की गई हाथाजोडी जीवन के विभिन्न क्षेत्रो में साधक को सफलता प्रदान करती है। जिस घर में विधिवत सिद्ध की गई असली हाथाजोडी की पूजा होती है, वह साघक सभी प्रकार से सुरक्षित और श्री सम्पन्न रहता है। इसका प्रभाव अचूक होता है। इसका प्रयोग कोई भी साधक स्त्री-पुरूष कर सकता है। यह जिसके पास भी होगी वह व्यक्ति अवश्य ही अद्भूत रूप से प्रभावद्गााली होगा। उसमे सम्मोहन, वशीकरण, सुरक्षा और सम्पत्तिवर्द्धन की चमत्कारी शक्ति आ जाती है। यात्रा, विवाद, प्रतियोगिता, साक्षात्कार, यु़द्ध क्षेत्र आदि मे साघक की रक्षा करके उसे विजय प्रदान करती है। भूत-प्रेत, वायव्य आत्माओं का कोई भय नही रहता है, धन सम्पति देने मे बहुत चमत्कारिक व प्रामाणिक सिद्ध हुई है। हत्थाजोडी के साथ चान्दी का सिक्का या एक नेपाली रुपया रख देना चाहिए। दैनिक पूजन-दर्द्गान करना बहुत ही लाभकारी होता है। इसकी शक्ति को उतरोतर बढाने के लिए नर-मादा सिंयारसिगी को सामने आक के पते पर रखकर उपरोक्त मंत्र से हवन करना चाहिए। होली, दीपावली ्नवरात्र को मंत्र जाप से तीव्र वंद्गाीकरण प्रयोग सम्पन्न किये जा सकते हैं!

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